प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बागवानी के प्रति प्रेरक बातो से प्रेरणा लेकर तैयार किया बाग़

 


20 बीघे में हरियाली से 'खुशहाली' की फ़सल काट रहे हरी और ओम  


- स्वरोजगार के लिए कानपुर के मिश्रा बंधुओ ने अपनाया बागवानी का रास्ता 


- बगीचे में फल फूल रहे कई प्रजातियों के पेड़- पौधे, बन गए आमदनी 

 कानपुर के मिश्रा बंधु हरी और ओम जिन्होंने अपनी पूरी जमीन बागवानी के नाम कर दी है l आज उसी जमीन पर पेड़-पौधों की हरियाली बाग़ - बाग़ हो रही है, महज पांच से छह वर्षों में 20 बीघे का यह बगीचा दोनों भाईयों के लिए मुनाफे का 'कारखाना' बन गया है साथ ही 'लाइफ गार्डन' के नाम से तैयार इस बगीचे को इलाकई लोग पर्यावरण संरक्षण का माडल भी मान रहे हैं l

          

कानपुर में भीतरगांव ब्लाक के बिरहर गांव में 'लाइफ गार्डन' स्थित है l प्रकृति प्रेम के चलते दो सगे भाइयों ने 20 बीघा भूमि में देसी-विदेशी किस्म के करीब 3 हजार पेड़-पौधों वाला बगीचा तैयार कर उसे लाइफ गार्डन नाम दिया है, दोनों भाई हरी मिश्रा और ओम मिश्रा इसी बिरहर गांव के निवासी हैं, इनमें ओम बड़े व हरी छोटे हैं l हरी पेशे से पत्रकार हैं इन्होने अखबार की नौकरी छोड़ खुद से बागवानी लगाई और भाई के साथ मिलकर उसे सहेज रहे हैं। पत्रकार हरी मिश्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बागवानी के प्रति प्रेरक बातों से प्रेरित होकर वर्ष 2019 में इस दिशा में कदम बढ़ाए और खेतों पर बगीचा तैयार कर लिया और अब यह पौधे बड़े होने पर कमाई का जरिया बन गए हैं, साथ ही पर्यावरण संरक्षण में मददगार भी हो रहे हैं l



स्वरोजगार का साधन बना बाग़, 5 लाख तक हो रही आय 


 बिरहर गांव के लाइफ गार्डन में किन्नू, रेड माल्टा, कटहल, आम, एप्पल बेर, बादाम, अनार के साथ लाहौरी नींबू, ताइवानी अमरूद व थाई कटहल सहित देशी - विदेशी किस्म के पेड़ पौधे लहलहा रहे हैं । हरी मिश्रा और ओम मिश्रा अकेले एप्पल बेर और नींबू से करीब एक लाख रुपए कमा रहे हैं। हरी बताते हैं कि अब 5 लाख तक की कमाई हो रही है, आगे यह लगभग 50 लाख रुपये सलाना होने की उम्मीद है।



लाइफ गार्डन में बच्चों की तरह पौधों को गोद लेते हैं लोग 


- अब तक तीन सौ से अधिक पौधों को लिया जा चुका है गोद 



कानपुर के बिरहर गांव स्थित लाइफ गार्डन में लोग पेड़- पौधों को गोद लेते हैं, बाग़ में पौधों को गोद लेने की यह अनोखी परम्परा दूसरे बगीचों से इसे अलग बनाती है। अब तक 500 से अधिक पौधों को लोगों द्वारा गोद लिया जा चुका हैं l

बाग़ के मालिक हरी मिश्रा बताते हैं कि ज़ब मैंने पर्यावरण संरक्षण व साथ में स्वरोजगार के लिहाज से बागवानी के कांसेप्ट का इंटरनेट मीडिया के माध्यम से प्रचार - प्रसार शुरू किया तो लोगों ने बागवानी के लिए जमीन न होने की बात करते हुए कहा कि यह हम नहीं कर सकते क्योंकि हमारे पास जमीन नहीं है । वहीं कुछ लोग समय न होने की भी बात कहते हैं। फिर यहीं से पेड़-पौधे गोद देकर लोगों के पर्यावरण प्रेम को पूरा करने का विचार आया। लोगों को बताया कि आप पौधा गोद लें, उसकी परिवरिश हम करेंगे। बस फिर क्या था पौधों को गोद लेने की शुरुआत हो गई और बाग में उत्तर प्रदेश सहित देश के दूसरे प्रांतों के कई जिलों के लोग पेड़-पौधे गोद ले चुके हैं। इनमें समाजसेवी एवं अधिकारी के अलावा अन्य लोग स्वर्गीय माता-पिता के नाम से पौधों को गोद लेते हैं। कुछ लोग तो जन्मदिन पर बगीचे में पौधा गोद लेकर केक काटते हैं। हरी कहते हैं कि मौजूदा दौर में पर्यावरण संरक्षण नितांत आवश्यक है। लोगों को हम यही संदेश दे रहे हैं । बताया कि अब तक 5 सौ से अधिक पौधे गोद लिए जा चुके हैं। लाइफ गार्डन में जिन लोगों ने पेड़-पौधों को गोद ले रखा है उनके नाम की पट्टिका गोद लिए हुए पौधे पर लगी हुई हैं l

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